बेटी से की नफरत तो मिली मौत

आज रजनी की शादी हो रही है, जिसकी खुशी उसके चेहरे पर साफ़ दिखाई दे रही है। शादी के बाद वो चाहती है कि उसके सिर्फ बेटे ही पैदा हों, क्योंकि उसे बेटियां बिल्कुल पसंद नहीं। आखिर इसके पीछे क्या है वजह? आइए रजनी के Past में जाकर जानते हैं।

बेटी से की नफरत तो मिली मौत

रजनी बचपन से ही अपने गांव में पली बढ़ी। उसके मां बाप भी गांव के ही थे। रजनी को हमेशा लड़की होने का ताना मिलता था। उसके मां बाप हों या फिर उसके कुछ रिश्तेदार, सभी लड़कों को ज़्यादा महत्व देते थे। इसलिए रजनी को भी लगने लगा था कि लड़के जीवन में ज़्यादा महत्व रखते हैं।

बेटी से की नफरत तो मिली मौत

एक दिन तो हद हो जाती है, जब रजनी अपने छोटे भाई राजू को लेकर खेत से वापस आ रही थी, सामने बनी सड़क पर जैसे ही रजनी राजू को लेकर आगे बढ़ती है तो एक बाइक वाला सामने से आकर राजू को टक्कर मार देता है। रजनी तो बच जाती है, लेकिन राजू के पैर में Fracture हो जाता है।

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वहां पर खड़े लोग जल्दी से राजू को Treatment के लिए हॉस्पिटल ले जाते हैं। रजनी के घर वाले हॉस्पिटल में ही रजनी को खूब खरी खोटी सुनाते हैं। रजनी की मां रजनी से कहती है, “काश मेरे बेटे की जगह तेरा पैर टूट जाता। तू क्यों जिंदा है, तू क्यों नहीं मर गई।”

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यह सारी बातें जैसे रजनी के दिल को तोड़कर रख देती हैं। उसे पूरी तरह से यह अहसास हो जाता है कि लड़की होना एक अपराध है। अब वह जब भी किसी लड़के को देखती तो अपने बारे में सोचती कि काश मैं भी एक लड़का होती।

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रजनी जैसे जैसे बड़ी होती गई उसको लड़कियों से सख्त नफरत होने लगी। अब उसकी सोच भी औरों की तरह हो चुकी है। वह चाहती है कि सबके घर सिर्फ लड़का ही जन्म ले। बड़ी होने के बाद रजनी का एक ही सपना है कि शादी के बाद उसका एक चांद सा बेटा हो।

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आज रजनी के लिए वह ख़ास दिन आ ही जाता है। रजनी के मां बाप ने उसके लिए एक अकलमंद, होनहार और सरकारी नौकरी करने वाला लड़का ढूंढा है, जिसका नाम सुरेंद्र है। सुरेंद्र एक अच्छी और ऊंची सोच वाला इंसान है। सुरेंद्र और रजनी की सोच बिल्कुल नहीं मिलती।

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शादी के बाद रजनी प्रेग्नेंट हो जाती है। रजनी को लड़का पैदा हो, इसके लिए वह हर जद्दोजहद करती है। यहां तक कि वह ढोंगी बाबा तक के पास भी जाती है। सुरेंद्र रजनी को अंधविश्वास वाली चीज़ों से दूर रहने को कहता है। लेकिन रजनी उसकी एक नहीं मानती।

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लेकिन कहते हैं न कि ईश्वर के आगे किसी की नहीं चलती। रजनी की इतनी कोशिशों के बाद भी उसे लड़की पैदा होती है। बेटी पैदा होने से रजनी का पति सुरेंद्र तो बहुत खुश रहता है, लेकिन रजनी अपनी बेटी को गोद में लेना तो दूर उसका चेहरा भी नहीं देखती।

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हॉस्पिटल से Discharge होने के बाद सुरेंद्र रजनी को घर ले जाता है। घर पहुंचने के बाद वह रजनी से कहता है कि अब बहुत हो चुका। तुम मेरी बेटी को अपना दूध पिलाओ। डॉक्टर ने कहा है बच्ची की सेहत के लिए मां का दूध बहुत ज़रूरी है। रजनी सुरेंद्र से कहती है, “मैं इस मनहूस को अपना दूध नही पिलाऊंगी"।

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इसपर सुरेंद्र को बहुत गुस्सा आता है और वह रजनी को धमकी देता है, “अगर मेरी बेटी को कुछ हुआ तो मैं तुझे Divorce दे दूंगा।” सुरेंद्र के इस तरह धमकाने से रजनी थोड़ा डर सी जाती है और अपनी बेटी को दूध पिलाने के लिए राज़ी हो जाती है।

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रजनी मन ही मन सोचती कि काश यह मर जाए। अगर सुरेंद्र का डर नहीं होता तो शायद रजनी अपनी बेटी का गला घोंटकर ही उसे मार देती। वह ऐसा मौका तलाश कर रही थी, जिससे कि उसकी बच्ची मर भी जाए और उसपर इल्जाम भी न आए। और एक दिन उसे यह मौका मिल ही जाता है, जब उसकी बुआ आती है।

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रजनी की बुआ रजनी से कहती है, “सर्दी का दिन है तुम अपना और बच्ची का खास ख्याल रखो। अभी तुम्हारा और बच्ची दोनो का बदन कमज़ोर है, इसलिए ठंड से बचना। अगर तुम्हें ठंड लगी तो बच्ची को भी लग जाएगी, क्योंकि वह तुम्हारा दूध पीती है।”

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रजनी पहले तो बुआ की बातें सुनकर मन ही मन गुस्सा करती है, लेकिन फिर कुछ सोचकर थोड़ा मुस्कुराती है। रजनी को मौका मिल जाता है अपनी बेटी को नुकसान पहुंचाने का। वह सोचती है, “क्यों न मैं ठंड से बचने के बजाए, उसके करीब जाऊं, ताकि मुझे सर्दी हो जाए और जब मैं उसको दूध पिलाऊं तो उससे नुकसान पहुंचकर बच्ची मर जाए।”

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रजनी अपना पूरा मन बना लेती है, ऐसा करने का और सुबह होते ही 5 बजे सर्दी में ठंडे ठंडे पानी से नहा लेती है। उसके बाद खेतों में वह ठंडी हवा में देर तक टहलती है। फिर वह घर आती है बच्ची को दूध पिलाती है और अमरूद खाने के बाद शाम को फिर बाहर टहलने निकल जाती है।

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बेटी से की नफरत तो मिली मौत

रात में जब वह अपने बिस्तर पर लेटती है तो रजनी की हालत खराब हो जाती है। वह बुखार में जलती रहती है और जैसे ही वह अपने पति को कुछ इशारा करने जाती है, अचानक से वह दम तोड़ देती है। इस तरह रजनी अपनी जान गंवा बैठती है।

बेटी से की नफरत तो मिली मौत

अपनी बेटी को जान से मारने की साजिश रचते रचते रजनी खुद मौत को गले लगा लेती है। वहीं उसकी बच्ची बिल्कुल सही सलामत ज़िंदा रहती है।

बेटी से की नफरत तो मिली मौत

इस सच्ची कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो लोग दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं वो खुद उस गड्ढे में गिर जाते हैं। बेटी से नफ़रत करने वालों का अंजाम क्या होता है, वह रजनी की मौत से साबित हो गया। जब बात बेटी की आती है तो ईश्वर भी बेटी का ही साथ देता है, क्योंकि बेटी बोझ नहीं ईश्वर का वरदान होती है।