इज़हार न करने पर प्यार का अंजाम – Pyar Ka Dard Untold Love Story in Hindi

Pyar Ka Dard Untold Love Story in Hindi – Pyar Ka Dard Facebook Love Story in Hindi – Pahle Pyar ka Pahla Gam – Pyar Ka Dard Hai

Pyar Ka Dard Untold Love Story :

अपने बाप की मौत के बाद आज आफ़रीन बिल्कुल टूट चुकी है। एक उसके बाबा ही थे, जिन्हें वह सबसे ज़्यादा प्यार करती थी। वह अपने दिल की हर बात अपने बाबा को बताती थी। आज जैसे उसके घर में मातम छाया हुआ है। उसकी मां और बहनों का रो रो कर बुरा हाल हो चुका है। उसे समझ नहीं आता कि वह अपने दर्द को कम करे या अपने घर वालों को संभाले।

फिर भी आफ़रीन एक बहादुर लड़की थी, इसलिए वह अपनी तकलीफ को दिल में दबाकर अपने घर वालों के आंसू पोंछती है। उन्हें दिलासा देती है और अपनी बहनों को समझाती है कि बाबा हम सबसे दूर नहीं गए, वह आज भी कहीं न कहीं से हमें देख रहे हैं और वह हमेशा हमें खुश देखना चाहते हैं। आफ़रीन अपनी मां को भी दिलासा देती है। उनके आंसुओं को पोंछती है।

Pyar Ka Dard Untold Love Story in Hindi

खुद अंदर ही अंदर टूटकर बिखर चुकी आफ़रीन सबको तसल्ली तो दे देती है, लेकिन उसके अंदर अपने सबसे अज़ीज़ बाबा के बिछड़ने का जो गम था, वह उसे अपने दिल में ही दफन कर लेती है। वह सबके सामने तो खुद के आंसुओं को बहनें नहीं देती, लेकिन अकेले में अपने बाबा को याद करके बहुत रोती है। उसके दिल में जैसे एक घबराहट सी रहती थी। वह धीरे धीरे Depression का शिकार होने लगी थी। उसे दुनिया की किसी भी चीज़ में अब Interest नहीं रहता है।

कुछ दिन ऐसे ही गमी के माहौल में बीत जाते हैं। बाबा के ग़म को कुछ देर के लिए भुलाने के लिए वह फेसबुक चलाने लगती है। फेसबुक पर अचानक से ही आफ़रीन के मोहल्ले के एक लड़के ज़ाकिर की फ्रेंड रिक्वेस्ट आती है। ज़ाकिर एक अच्छा लड़का है और आफ़रीन के भाई मोहसिन का दोस्त भी है, इसलिए वह उसकी Friend Request Accept कर लेती है।

जैसे ही आफ़रीन ज़ाकिर की फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करती है। वैसे ही ज़ाकिर उसे मेसेज करता है, Thanks। आफ़रीन उसे रिप्लाई देती है, “थैंक्स किस बात के लिए?”

तो ज़ाकिर कहता है, “मेरी Friend Request एक्सेप्ट करने के लिए।”

इसपर आफ़रीन को हंसी आ जाती है और वह ज़ाकिर से कहती है, “फेसबुक पर किसी की फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करना यह कोई बड़ी बात तो नहीं है। तुमने रिक्वेस्ट भेजा और मैंने एक्सेप्ट कर लिया सिंपल।”

तो इसपर ज़ाकिर आफ़रीन से कहता है, “बड़ी बात तो नहीं है, लेकिन मुझे लगा शायद तुम मेरी फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट ना करो।”

इसपर आफ़रीन ज़ाकिर से बार बार सवाल करती है कि आखिर तुमने ऐसा क्यों सोचा? तो बहुत फोर्स करने के बाद ज़ाकिर आफ़रीन से कहता है, “क्योंकि मैं अक्सर तुम्हारे घर आता हूं, तुम्हारी अम्मी और बहनें तो मुझसे बात चीत करती हैं, लेकिन तुम कभी भी मुझसे बात नहीं करती। मुझसे क्या तुम किसी भी लड़के से बात नहीं करती तो मुझे लगा तुम घमंडी हो। लेकिन Facebook पर तो तुम्हारे बात करने का तरीका ही एकदम अलग है। तुम्हारा नेचर तो बहुत अच्छा है।

ज़ाकिर की यह बात सुनकर आफ़रीन को हंसी आती है और फिर वह अपना जवाब ज़ाकिर के सामने रखती है, “मैं घमंडी नहीं हूं, बस मैं लड़कों से बात करने में थोड़ा हिचकिचाती हूं। बस यही वजह है, जो मैं किसी से बात नहीं करती। और हो सकता है मैं लड़कों से बात करूं तो लोग मुझे गलत समझें। इन सभी उलझनों की वजह से मैं खामोश रहती हूं।”

ज़ाकिर आफ़रीन की बातों की सराहना करता है। और उसकी नज़रों में आफ़रीन की इज्ज़त बढ़ जाती है। अब वह रोज़ किसी न किसी बहाने से आफ़रीन को मैसेज करता है। आफ़रीन भी उसके मैसेज का जवाब दे देती है, क्योंकि वह नहीं चाहती कि उसे कोई घमंडी समझे।

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एक दिन वह फेसबुक की बजाय व्हाट्सएप यूज करती रहती है कि तभी नये नंबर से उसे मैसेज आता है, Hi! आफ़रीन पूछती है कौन?

इसपर उधर से रिप्लाई आता है, “मैं ज़ाकिर”!

आफ़रीन ज़ाकिर से पूछती है कि मेरा Whatsapp नंबर तुम्हारे पास कहां से आया तो वह कहता है कि एक दिन तुम्हारे फोन से किसी ने मुझे कॉल किया था, तुम्हारे भाई मोहसिन से बात करने के लिए। तभी मैंने यह नंबर सेव कर लिया था। जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था, ज़ाकिर ने आफ़रीन की बहन जैनब से आफ़रीन का नंबर मांगा था, क्योंकि वह दिल ही दिल में उसको पसंद करने लगा था। जैनब और ज़ाकिर की आपस में काफी बनती थी, इसलिए जैनब ज़ाकिर को आफ़रीन का Number दे देती है।

इस तरह ज़ाकिर और आफ़रीन की WhatsApp पर भी बातें होने लगती हैं। आफ़रीन व्हाट्सएप पर अपने बाबा से बिछड़ने वाला Sad Status लगाती तो ज़ाकिर फौरन उसपर आफ़रीन को रिप्लाई करता और उसे दिलासा देता।

इस तरह आफ़रीन भी ज़ाकिर को दिल ही दिल में पसंद करने लगी थी, लेकिन वह डर की वजह से कभी भी यह ज़ाहिर नहीं करती थी। ज़ाकिर भी दबे और छुपे हुए तरीके से उसकी बहुत तारीफ करता था। वह इस क़दर आफ़रीन को चाहने लगता है कि हर वक़्त उसे सिर्फ आफ़रीन का ही ख्याल रहता है।

आफ़रीन को वह अपनी Best Friend मानने लगता है, इसलिए उससे अपने प्यार का इज़हार करने से डरता है। लेकिन बातों ही बातों में कभी कभी वह अपने दिल की बातें कह जाता और फिर बात को घुमा देता, जिससे कि आफ़रीन को उसपर शक न हो। लेकिन अंदर ही अंदर आफ़रीन भी ज़ाकिर की मोहब्बत को महसूस करने लगी थी। उसे ज़ाकिर से बातें करना अच्छा लगने लगा था।

अब इन लोगों की मुलाक़ात तब और ज़्यादा बढ़ जाती है, जब ज़ाकिर की बड़ी बहन शाज़िया की शादी होती है। शादी के हर फंक्शन में ज़ाकिर के घर से आफ़रीन के घर Invitation आता है, क्योंकि यह लोग एक ही मोहल्ले में रहते हैं। इस तरह इनकी मुलाक़ात दिन ब दिन बढ़ती जाती है। शादी और दूसरे फंक्शन्स में आफ़रीन और ज़ाकिर आमने सामने तो रहते, लेकिन कोई उन्हें गलत न समझ ले इस वजह से बात नहीं करते थे।

लेकिन बाद में जब आफ़रीन अपने घर आ जाती तो ज़ाकिर मेसेज करके उसकी तारीफ करता, “आज तुम बहुत प्यारी लग रही थी।” आफ़रीन भी ज़ाकिर की बात से खुश होती है।

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आफ़रीन जब ठंडी हवा लेने शाम को अपनी छत पर जाती तो ज़ाकिर अपनी छत से छुप छुपकर उसे Message करता और उसे बताता कि मैं तुम्हें देख रहा हूं।

इसपर आफ़रीन कहती कि लेकिन मुझे तो तुम नहीं दिख रहे। तो ज़ाकिर कहता कि मैं अपनी छत पर जहां खड़ा हूं वहां से मैं तो तुम्हें देख सकता हूं, लेकिन तुम नहीं। और आज तुम हमेशा की तरह बहुत ही प्यारी लग रही हो।

आफ़रीन ज़ाकिर की तारीफ से फूले नहीं समाती। बाबा के बिछड़ने के ग़म के बाद जैसे उसकी उजड़ी ज़िन्दगी में कोई बहार लेकर आया हो। उसे अंदर ही अंदर पता होता है कि वह दोनों कभी एक नहीं हो सकते फिर भी वह यह सब सोचे बिना बस ज़ाकिर से मैसेज से बात करती जाती है। उसने कभी भी ज़ाकिर से कॉल पर बात नहीं की थी, फिर भी पता नहीं, क्यों उन दोनों में ऐसी बॉन्डिंग रहती है कि वो दोनों Chatting से ही बहुत क्लोज़ रहते हैं, एक दूसरे का ख्याल रखते हैं।

लेकिन कभी कभी जब चैटिंग हद से ज़्यादा हो जाती है, तो आफ़रीन ज़ाकिर से कहती है कि इतनी चैटिंग ठीक नहीं। हम दोनों को एक दूसरे की आदत पड़ रही है और यह आगे के लिए ठीक नहीं।

इसपर ज़ाकिर आफ़रीन से कहता है कि अगर मैं तुमसे बात नहीं करूंगा तो मेरा दिन ही अच्छा नहीं गुजरेगा। तुमसे बात करके मेरा पूरा दिन अच्छा जाता है। तुम्हें देख लेता हूं तो मेरा पूरा दिन खुशियों से भर जाता है। ज़ाकिर की ऐसी बातें, आफ़रीन को उसकी तरफ और भी आकर्षित करती हैं।

एक दिन आफ़रीन के लिए एक रिश्ता आता है। आफ़रीन की अम्मी उसकी शादी कराना चाहती हैं। आफ़रीन के लिए रिश्ता आया है यह बात सुनकर आफ़रीन को अच्छा महसूस नहीं होता और वह यह बात ज़ाकिर से शेयर करती है और कहती है कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती।

रिश्ते की बात सुनकर ज़ाकिर पहले तो डर जाता है, लेकिन जब वह सुनता है कि आफ़रीन इस रिश्ते के लिए राज़ी नहीं है तो वह राहत की सांस लेता है और आफ़रीन से कहता है कि अगर तुम यह शादी नहीं करना चाहती तो घर में मना कर दो।

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इसपर आफ़रीन कहती है कि हां मैं यही करूंगी। आफ़रीन के इस जवाब से ज़ाकिर बहुत खुश होता है और फिर उससे एक सवाल पूछता है, “अगर किसी और लड़के का रिश्ता तुम्हारे लिए आए, जिसे तुम जानती हो तो क्या तुम उससे शादी करोगी?”

आफ़रीन ज़ाकिर की घुमाकर की हुई बात का मतलब समझ जाती है कि वह उसके लिए रिश्ता भेजना चाहता है। इसलिए वह कहती है कि हां कर लूंगी। इसके बाद ज़ाकिर और आफ़रीन दोनों खुश हो जाते हैं।

कुछ दिन ऐसे ही दोनों की बातें होती रहती हैं। ज़ाकिर रोज़ सोचता है कि वह अपने और आफ़रीन के रिश्ते के बारे में अपने घर में बात करे, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं होती है।

उधर आफ़रीन दिल ही दिल में सोचती है कि ज़ाकिर कोई न कोई रास्ता ज़रूर निकाल लेगा, जिससे की वह रिश्ता भी भेज दे और बदनामी भी न हो। वह दिल ही दिल में कई सपने संजो लेती है और अपनी शादी के ख्वाब देखने लगती है। लेकिन किस्मत को तो शायद कुछ और ही मंजूर रहता है।

कुछ दिन बीतने के बाद ज़ाकिर के घर उसे देखने लड़की वाले आते हैं। ज़ाकिर एक सीधा साधा लड़का रहता है, इसलिए उसके लाख मना करने के बाद भी ज़ाकिर की अम्मी उसकी शादी Fix कर देती हैं। कुछ दिनों के बाद उसकी Engagement हो जाती है। जब इस बात का पता आफ़रीन को चलता है तो उसके दिल पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है।

ज़ाकिर आफ़रीन से यह बात बताता है और कहता है कि मैं यह शादी नहीं करना चाहता था, फिर भी मेरी अम्मी ने जबरदस्ती मेरा रिश्ता फिक्स कर दिया। ना ही उधर से ज़ाकिर कुछ कह पाता है और न ही इधर से आफ़रीन। वह एक बार फिर अपने दर्द को दिल में छुपाए आंखों में आसूं लिए, अपनी पाक इज्ज़त को बचाते हुए उसे मैसेज करती है, “लड़की की फोटो मैंने देखी, जो तुमने भेजी है। लड़की तो अच्छी है कर लो शादी।”

ज़ाकिर कहता है मैं किसी और को पसंद करता हूं और उसी से शादी करना चाहता हूं और उससे मेरी रोज़ बातें होती हैं। आफ़रीन ज़ाकिर के इशारे को समझती है, और वह जानती है कि ज़ाकिर उसी के बारे में कह रहा है। लेकिन खुद को रुसवा होने से बचाने और उस लड़की की ज़िंदगी बर्बाद ना हो, इसलिए अपने प्यार का गला घोंट लेती है और कहती है कि अल्लाह पर भरोसा करो, उन्होंने तुम्हें जो दिया है वह बेहतर होगा। और तुम्हारी अम्मी भी तो यही चाहती हैं। मां बाप के प्यार से बढ़कर कोई मोहब्बत नहीं होती। तुम उस लड़की से शादी कर लो और मुझसे बातें करना कम करो। क्योंकि तुम्हरा Future तुम्हारी होने वाली बीवी है, तुम्हें उसको टाइम देना है।

इतना कहकर आफ़रीन अपना फोन रखकर अकेले में फूंट फूंट कर रोती है। उसे अब उसके बाबा और ज़ाकिर दोनों से बिछड़ने का ग़म था। ज़ाकिर कुछ दिनों तक आफ़रीन से Contact करता है, लेकिन फिर वह भी सच्चाई को एक्सेप्ट करते हुए आफ़रीन की जगह अपनी होने वाली बीवी सना से फोन पर बातें करने लगता है और धीरे धीरे आफ़रीन की यादों को अपने दिल से निकालने लगता है।

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आफ़रीन को जब यह बात पता चलती है कि ज़ाकिर अपनी Fiance से बात करने लगा है तो वह खुद को ठगा हुआ सा महसूस करती है। लेकिन अपने दर्द को कभी किसी से बयां नहीं करती। कुछ दिन वह अपनी छत से ज़ाकिर की छत की तरफ देखती, उसकी झलक पाने की कोशिश करती थी, लेकिन फिर उन दोनों की ज़िंदगी की तरह ही उन दोनों के घर के बीच भी एक दीवार उठ जाती है। उन दोनों के घर के बीच में कोई अपना घर बनवा लेता है।

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इस तरह बिना इजहार किए आफ़रीन की मोहब्बत अधूरी रह जाती है। ज़ाकिर तो अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ जाता है, लेकिन पता नहीं क्यों आफ़रीन को आज भी शादी के नाम से नफ़रत होती है। वह अपने आंसुओं को अपने दिल में इस क़दर छुपा लेती है कि उसे अब प्यार, मोहब्बत और शादी के नाम पर अच्छा महसूस नहीं होता।

Moral – कभी कभी कुछ लड़कियां अपनी इज़्ज़त और आबरू के लिए अपनी खुशियों का गला घोंट देती हैं, लेकिन इस बात का अहसास वो किसी को नहीं होने देती। क्योंकि वो जानती हैं कि सब कुछ अल्लाह के हाथ में है और उनकी मर्ज़ी के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। जिस तरह आफ़रीन अपने अरमानों को अपने दिल में ही दफन कर लेती है। आफ़रीन यह सोचकर सब्र कर लेती है कि अल्लाह जो करता है, उसी में हमारी बेहतरी होती है।

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