बेटी से की नफरत तो मिली मौत – Beti ka Janm Hindi Kahani

Beti ka Janm Hindi Kahani – Girl Child Birth Sad Story in Hindi – Girl Child Murder Story in Hindi

Beti ka Janm Hindi Kahani :

आज रजनी की शादी हो रही है, जिसकी खुशी उसके चेहरे पर साफ़ दिखाई दे रही है। और हो भी क्यों न आखिर रजनी जिसको चाहती है उसी से उसकी शादी हो रही है। लेकिन शादी के बाद वो चाहती है कि उसके सिर्फ बेटे ही पैदा हों, क्योंकि उसे बेटियां बिल्कुल पसंद नहीं।

आखिर इसके पीछे क्या है वजह? आइए रजनी के अतीत (Past) में जाकर जानते हैं।

Beti ka Janm Hindi Kahani

रजनी बचपन से ही अपने गांव में पली बढ़ी। हमेशा से ही उसने गांव की जिंदगी देखी थी। उसके मां बाप भी गांव के ही थे। रजनी को हमेशा लड़की होने का ताना मिलता था। उसके मां बाप हों या फिर उसके कुछ रिश्तेदार, सभी लड़कों को ज़्यादा महत्व देते थे।

इसलिए रजनी को भी लगने लगा था कि लड़के जीवन में ज़्यादा महत्व रखते हैं।

रजनी आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन उसकेे माता पिता ने उसकी पढ़ाई बंद करा दी, और उससे कहा, “तुम्हारे भाईयों की पढ़ाई ज़्यादा ज़रूरी है। वो हमारा साथ आखरी तक देंगे। तुम तो पराया धन हो।”

अब तो रजनी को भी लगने लगा था कि लड़के लड़कियों से ज़्यादा Important होते हैं।

एक दिन तो हद हो जाती है, जब रजनी अपने छोटे भाई राजू को लेकर खेत से वापस आ रही थी, सामने बनी सड़क पर जैसे ही रजनी राजू को लेकर आगे बढ़ती है तो एक बाइक वाला सामने से आकर राजू को टक्कर मार देता है। रजनी तो बच जाती है, लेकिन राजू के पैर में Fracture हो जाता है।

वहां पर खड़े लोग जल्दी से राजू को Treatment के लिए हॉस्पिटल ले जाते हैं। जब रजनी के घर वालों को यह बात पता चलती है तो पूरे घर में जैसे हल्ला मच जाता है। रजनी के घर वाले हॉस्पिटल पहुंच कर रजनी को हॉस्पिटल में ही खूब खरी खोटी सुनाते हैं।

रजनी की मां रजनी से कहती है, “सत्यानास हो तेरा, जो तू राजू का ख्याल नहीं रख पाई। अगर मेरे राजू को कुछ भी होता तो मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ती। काश मेरे बेटे की जगह तेरा पैर टूट जाता। तू क्यों जिंदा है, तू क्यों नहीं मर गई।”

यह सारी बातें जैसे रजनी के दिल को तोड़कर रख देती हैं। उसे पूरी तरह से यह अहसास हो जाता है कि लड़की होना एक अपराध है। लड़की नहीं होनी चाहिए। अब वह जब भी किसी लड़के को देखती तो अपने बारे में सोचती कि काश मैं भी एक लड़का होती तो मुझे भी महत्व मिलता।

शुरू शुरू में रजनी को अपने लड़की होने पर सिर्फ अफसोस होता था। लेकिन जैसे जैसे वह बड़ी होती गई, उसका वह दुख नफरत में बदल गया। अब उसको लड़कियों से सख्त नफरत हो गई है। अब उसकी सोच भी औरों की तरह हो चुकी है। वह चाहती है कि सबके घर सिर्फ लड़का ही जन्म ले।

उसको लगता है कि जिस घर में लड़की पैदा होती है, वह घर मनहूस हो जाता है।

बड़ी होने के बाद रजनी का एक ही सपना है कि उसकी शादी हो और उसका एक चांद सा बेटा पैदा हो।

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आज रजनी के लिए वह ख़ास दिन आ ही जाता है, क्योंकि आज रजनी की शादी हो रही है। रजनी के मां बाप ने उसके लिए एक अकलमंद, होनहार और सरकारी नौकरी करने वाला लड़का ढूंढा है, जिसका नाम सुरेंद्र है। सुरेंद्र एक बहुत ही अच्छा और ऊंची सोच वाला इंसान है। सुरेंद्र और रजनी की सोच आपस में बिल्कुल नहीं मिलती। सुरेंद्र रजनी से बिल्कुल अलग है।

सुरेंद्र से शादी होने के बाद रजनी बहुत खुश रहती है और सुरेंद्र से कहती है कि मुझे उस वक्त का इंतज़ार है जब हमारा एक प्यारा सा चांद जैसा बेटा होगा।

इसपर सुरेंद्र रजनी से कहता है कि लड़का हो या लड़की बच्चे तो हमारे ही होंगे न। मेरे लिए दोनों ही बराबर हैं। हां लेकिन अगर बेटी पैदा हो जाए तो मुझे और भी ज़्यादा खुशी होगी।

सुरेंद्र की ऐसी बातों से रजनी को बहुत गुस्सा आता है और वह सुरेंद्र से बहस करती है कि उसे लड़का ही पैदा होगा। सुरेंद्र रजनी के ऐसे बर्ताव को पसंद नहीं करता। लेकिन बात ज़्यादा आगे न बढ़े, इसलिए वह चुप हो जाता है।

कुछ समय के बाद रजनी प्रेग्नेंट हो जाती है और उसे लड़का पैदा होने का इंतज़ार रहता है। उसका लड़का ही पैदा हो, इसके लिए वह हर जद्दोजहद करती है। यहां तक कि वह ढोंगी बाबा तक के पास जाती है।

रजनी की इन हरकतों को सुरेंद्र नोटिस कर लेता है और उसको अंधविश्वास वाली चीज़ों से दूर रहने को कहता है। लेकिन रजनी सुरेंद्र की एक भी बात नहीं मानती और छुप छुपकर ऐसी चीज़ें करती रहती है।

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लेकिन कहते हैं न कि ईश्वर के आगे किसी की नहीं चलती। वह जो चाहेगा वही होगा। रजनी की इतनी कोशिशों के बाद भी उसे लड़की पैदा होती है।

बेटी पैदा होने से रजनी का पति सुरेंद्र तो बहुत खुश रहता है, लेकिन रजनी अपनी बेटी को गोद में लेना तो दूर उसका चेहरा भी नहीं देखती।

हॉस्पिटल में नर्स रजनी से कहती है, “मुबारक हो आपको बहुत ही प्यारी सी बेटी हुई है” तो रजनी उसपर गुस्सा करते हुए कहती है कि बेटी नहीं मनहूस पैदा हुई है।”

नर्स रजनी के ऐसे बर्ताव से डर जाती है और रूम से बाहर चली जाती है। थोड़ी देर के बाद सुरेंद्र रजनी के रूम में आता है और खुशी से अपनी बेटी को गोद में लेकर रजनी के करीब जाता है और रजनी का धन्यवाद करता है कि उसने इतनी प्यारी बेटी पैदा की।

रजनी गुस्से से मुंह मोड़ लेती है और सुरेंद्र से कहती है, “रखो तुम अपनी बेटी अपने पास। मुझे तो बेटा चाहिए था, बेटी नहीं।”

रजनी के ऐसे व्यवहार से सुरेंद्र को गुस्सा तो बहुत आता है, लेकिन सुरेंद्र अपने गुस्से को पी जाता है और रजनी को समझाता है कि बेटी हुई है तो क्या हुआ, है तो वह हमारा ही खून न। अगर हम अपनी बेटी के साथ ऐसा सुलूक करेंगे तो फिर दूसरों से क्या उम्मीद करेंगे।

सुरेंद्र के इतना समझाने के बाद भी रजनी उसकी एक नहीं मानती और न ही अपनी बेटी को अपना दूध पिलाती है। हॉस्पिटल से Discharge होने के बाद सुरेंद्र रजनी को घर लेकर जाता है। घर पहुंचने के बाद वह रजनी से कहता है कि अब बहुत हो चुका तुम्हारा। तुम मेरी बेटी को अपना दूध पिलाओ। डॉक्टर ने कहा है कि बच्ची की सेहत के लिए मां का दूध बहुत ज़रूरी है।

रजनी सुरेंद्र की बात नहीं मानती और कहती है, “मैं किसी भी कीमत में इस मनहूस को अपना दूध नही पिलाऊंगी। चाहे कुछ भी हो जाए।”

इसपर सुरेंद्र को बहुत गुस्सा आता है और वह रजनी को धमकी देता है, “अगर मेरी बेटी को कुछ हुआ तो मैं तुझे Divorce दे दूंगा।”

सुरेंद्र के इस तरह धमकाने से रजनी थोड़ा डर सी जाती है और अपनी बेटी को दूध पिलाने के लिए राज़ी हो जाती है। दूध पिलाने के बाद भी रजनी को अपनी बेटी पर थोड़ी भी मोहब्बत नहीं आती। उसकी बेटी उसे बोझ की तरह लगती है।

चार दिन गुजर जाते हैं, लेकिन रजनी को अभी भी अपनी बेटी पर प्यारा नहीं आया। वह मन ही मन सोचती कि काश यह मर जाए।

अगर सुरेंद्र का डर नहीं होता तो शायद रजनी अपनी बेटी का गला घोंटकर ही उसे मार देती। लेकिन पति की दी हुई धमकी उसे याद रहती है। वह ऐसा मौका तलाश कर रही थी, जिससे कि उसकी बच्ची मर भी जाए और उसपर इल्जाम भी न आए। और एक दिन उसे यह मौका मिल ही जाता है, जब उसकी बुआ उससे मिलने आती है।

रजनी की बुआ बच्ची से मिलकर बहुत खुश होती है और रजनी से उसका अच्छे से ख्याल रखने को कहती है।

रजनी की बुआ रजनी से कहती है, “सर्दी का दिन है तुम अपना और बच्ची का खास ख्याल रखो। अभी कुछ ही दिन हुए हैं बच्ची की पैदाइश को। तुम्हार और बच्ची दोनो का बदन कमज़ोर है, इसलिए ठंड से बचना। अगर तुम ठंड से बचोगी तो बच्ची के लिए भी अच्छा होगा। अगर तुम्हें ठंड लगी तो बच्ची को भी लग जाएगी, क्योंकि वह तुम्हारा दूध पीती है।”

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रजनी पहले तो बुआ की बातें सुनकर मन ही मन गुस्सा करती है, लेकिन फिर बाद में कुछ सोचकर थोड़ा मुस्कुराती है।

रजनी को मौका मिल जाता है अपनी बेटी को नुकसान पहुंचाने का। वह मन ही मन सोचती है, “क्यों न मैं ठंड से बचने के बजाए, ठंड के करीब जाऊं, ताकि मुझे सर्दी हो जाए और जब मैं बच्ची को दूध पिलाऊं तो उससे नुकसान पहुंचकर वह मर जाए।”

रजनी अपना पूरा मन बना लेती है, ऐसा करने का और सुबह होते ही 5 बजे सर्दी में वह ठंडे ठंडे पानी से नहा लेती है। उसके बाद बाहर खेतों में वह ठंडी ठंडी हवा में काफी देर तक टहलती है। फिर वह घर आती है बच्ची को दूध पिलाती है और अमरूद खाने के बाद शाम को वह फिर ठंडी हवा में बाहर टहलने निकल जाती है।

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रात में जब वह अपने बिस्तर पर लेटती है तो रजनी की हालत खराब हो जाती है। वह बुखार में जलती रहती है और जैसे ही वह अपने पति को कुछ इशारा करने जाती है, अचानक से वह दम तोड़ देती है। इस तरह रजनी अपनी जान गंवा बैठती है।

अपनी बेटी को जान से मारने की साजिश रचते रचते रजनी खुद मौत को गले लगा लेती है। वहीं उसकी बच्ची बिल्कुल सही सलामत ज़िंदा रहती है।

Moral – इस सच्ची कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो लोग दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं वो खुद उस गड्ढे में गिर जाते हैं। इसके अलावा बेटी से नफ़रत करने वालों का अंजाम क्या होता है, वह रजनी की मौत से साबित हो गया। जब बात बेटी की आती है तो ईश्वर भी बेटी का ही साथ देता है, क्योंकि बेटी बोझ नहीं ईश्वर का वरदान होती है।

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