Pardesi ki Kahani – Outsider True Story – Pardesi se Mohabbat – Pardesi se Mohabbat na Karna
Pardesi ki Kahani :
आज अरबाज की मां के आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे, क्योंकि उनका बेटा अरबाज़ आज काम के सिलसिले में दुबई जा रहा था। एयरपोर्ट पर अलविदा करते वक्त अरबाज की मां बहुत रोती है तो अरबाज अपनी मां के आंसू पोंछते हुए उन्हें समझाता है कि मैं दो साल में वापस आ जाऊंगा।
अरबाज अपनी मां को समझाता है कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। तभी मंज़िल मिलती है। फिर अरबाज की मां अपने आंसू पोंछती है और कहती है। जब तू वापस आएगा तो मैं एक अच्छी सी लड़की देखकर तेरी शादी कर दूंगी।
लेकिन तू मुझसे वादा कर और मेरे सिर पर हाथ रखकर कसम खा कि तू शादी मेरी पसंद की लड़की से ही करेगा। अरबाज कहता है कि हां मां मैं आपकी मर्ज़ी से ही शादी करूंगा, मैं आपके सिर की कसम खाता हूं।
इतना कहकर अपनी मां के गले लगने के बाद अरबाज अपने पिता, भाई और बहन से मिलकर, दुबई के लिए रवाना हो जाता है। दुबई पहुंचकर अरबाज थोड़ा Upset रहता है।
अरबाज़ मेहनती तो रहता ही है, इसलिए काम में जल्दी माहिर हो जाता है। एक हफ़्ते यूं ही काम समझने और करने में गुजरते हैं। अभी दुबई के सभी लोग अरबाज के लिए नये रहते हैं। धीरे धीरे उसकी दोस्ती लोगों से शुरु होती है।
दिन में तो वो काम करता है, लोगों से मिलता है। लेकिन जब रात होती है तो वो अकेला अपने रूम में रहता। अपने घर वालों को याद करता। थोड़ी देर कॉल पर बात करने के बाद वो खिड़की पर बैठकर कॉफी के साथ अकेले में रोज़ बाहर का नज़ारा लेता। आज उसको सामने घर में एक बहुत खुबसूरत परी जैसी लड़की दिखाई देती है।
वो उसे एक नज़र देखता है फिर नज़रें हटा लेता है। हालंकि उस लड़की को देखते ही पहली नज़र में उसे प्यार हो जाता है। लेकिन अरबाज को अपनी मां की कही हुई बात याद आ जाती है।
वो लड़की भी सामने से अरबाज को देखती है। उसका नाम असमा रहता है। असमा को भी अरबाज पहली नज़र में ही पसंद आ जाता है। वो अरबाज को काफी देर तक देखती है। जब अरबाज उसको छुपी हुई नज़रों से देखता है तो असमा अपनी नज़रें कुछ टाइम के लिए हटा लेती है।
न जाने अरबाज में ऐसी क्या बात थी कि असमा उसकी तरफ पहली नज़र में ही खिंची चली जा रही थी। शायद अरबाज की मासूमियत, उसकी सादगी, उसका भुंदलापन असमा को दिखाई देने लगा था।
जब अरबाज देखता है कि असमा दबी नज़रों से उसको देखे चली जा रही है तो अरबाज अपनी खिड़की बंद करके अंदर चला जाता है।
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दूसरे दिन अरबाज अपने ऑफिस जाने के लिए फ्लैट से बाहर निकलता है तो असमा अपने दरवाज़े पर खड़ी होकर अरबाज को देखती है। अरबाज चुप चाप सिर झुकाए अपने ऑफिस चला जाता है।
अरबाज तो अपने जज़्बात को अपने अंदर ही दबा लेता है, लेकिन असमा ऐसा नहीं कर पाती। असमा की दीवानगी दिन ब दिन बढ़ती ही जाती है। वो अरबाज को कभी अपनी छत से देखती है तो कभी अपनी खिड़की से, कभी दरवाज़े पर खड़ी होकर देखती है तो कभी छुप छुप कर उसे निहारती है।
अरबाज काफी दिनों तक असमा को ऐसा करते हुए देखता है और समझने लगता है कि असमा उसको Like करने लगी है। लेकिन अरबाज असमा की तरफ खुद को आकर्षित होने से बचाता है।
एक दिन रात को जब अरबाज ऑफिस से वापस फ्लैट में जा रहा होता है तो असमा दरवाज़े पर खड़े होकर उसका इंतज़ार करती है। जैसे ही वो अपने फ्लैट में जा रहा होता है तो असमा उसे एक छोटा सा Letter पकड़ा कर अपने घर में भाग जाती है।
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अरबाज अपने फ्लैट में जाकर जब Letter खोलकर देखता है तो उसमें असमा का Whastapp और Calling Number रहता है। साथ ही उसमें लिखा होता है, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं अरबाज। मुझे तुम्हें देखते ही पहली नज़र में प्यार हो गया था। जब से मैंने तुम्हें देखा है, पता नहीं क्यों मैं तुम्हारी तरफ खिंची चली जा रही हूं।
मैं हर वक्त तुम्हारे बारे में सोचती रहती हूं। न मुझे ठीक से नींद आती है और न ही चैन पड़ता है। हर वक्त मुझे बस तुम्हारा ही ख्याल रहता है। I Love You अरबाज, I Love You Very Much।
अरबाज एकदम शॉक में रहता है। फिर अपने आपको समझाते हुए वो असमा का नंबर अपने फोन में Save करता है और उसे Message करता है कि इंडिया से दुबई मैं सिर्फ़ अपना कैरियर बनाने आया हूं। किसी से प्यार करने नहीं। मैं भारत से आते वक्त अपनी मां से वादा करके आया हूं कि मैं शादी सिर्फ उनकी पसंद की लड़की से करुंगा। इसलिए अच्छा होगा कि तुम मुझे भूल जाओ।
असमा अरबाज के मैसेज का रिप्लाई करती है और कहती है मोहब्बत किसी शर्त पर नहीं होती। वो तो बिना किसी मतलब के बस हो जाती है। और मुझे पहली नज़र में ही तुमसे सच्चा प्यार हो गया था।
अरबाज उसे बहुत समझाता है पर असमा नहीं मानती। तो अरबाज सिर्फ उसके मैसेज का रिप्लाई देता है। अपने प्यार का इज़हार नहीं करता। क्योंकि वो जानता है कि वो एक विदेशी लड़का है और इसलिए उसका और असमा का कोई मेल हो ही नहीं सकता।
अरबाज असमा से कहता है कि मैं भी तुम्हें पसंद करता हूं, इसलिए मैं तुम्हारा दिल नहीं दुखाना चाहता। हम सिर्फ़ दोस्त रह सकते हैं, लेकिन मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता।
इस पर असमा अरबाज से कहती है, चलो दोस्त ही सही कम से कम मैं तुमसे बात तो कर सकूंगी। फिर असमा और अरबाज की काफी देर तक बात होती है।
अब इसी तरह असमा और अरबाज की रोज़ एक दूसरे से बातें होने लगती हैं। हालांकि अरबाज असमा को बार बार समझाता है कि मुझसे इतनी बातें न करो, वरना बाद में बिछड़ने पर दर्द होगा। लेकिन असमा अरबाज की एक न मानती। वो अरबाज से अपना हर एक लम्हा शेयर करती।
असमा उसे अपनी Pics दिखाती और पूछती कि मैं कैसी लग रही हूं। अरबाज हमेशा की तरह कहता कि दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की लग रही हो। असमा अरबाज की तारीफ से खुश होती।
असमा के बहुत ज़िद करने पर अरबाज उससे बाहर रेस्टोरेंट और पार्क वगैरा में भी मिलता है। लेकिन वो असमा को सिर्फ एक दोस्त की तरह ही ट्रीट करता है। लेकिन असमा उसे अपना BF मानती है।
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अरबाज तो असमा से एक हद में रहकर ही बातें करता है, क्योंकि वो उससे प्यार और उसकी इज्जत दोनों करता है। और उसे पता है कि वो असमा से शादी नहीं कर सकता। लेकिन कभी कभी असमा अरबाज से कुछ ज़्यादा ही रोमांटिक होने लगती है तो अरबाज उसे समझाता है कि इतना क़रीब आना ठीक नहीं। मैं तुम्हारी इज़्ज़त करता हूं और तुम्हारे प्यार का फ़ायदा नहीं उठाना चाहता
अरबाज की ऐसी बातों से असमा को उससे और ज़्यादा मोहब्बत होती जाती है। एक दिन जब अरबाज असमा को समझाता है कि हमें ज़्यादा क़रीब नहीं आना चाहिए तो असमा रोने लगती है और अरबाज से कहती है कि मैं सिर्फ तुमसे मोहब्बत करती हूं और तुम्ही से शादी करना चाहती हूं। क्या तुम मुझसे शादी नहीं कर सकते।
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अरबाज एक मिनट तक सोचने के बाद असमा से कहता है, तुम्हें एहसास भी है कि तुम क्या कह रही हो? मैं एक परदेसी हूं। आज नहीं तो कल मैं अपने देश अपने India चला जाऊंगा। क्योंकि मेरी मां मेरा परिवार सब वहीं पर हैं और तुम यहां दुबई में रहने वाली लड़की हो। तुम्हरा देश यह है। अगर मैं अपनी मां और फैमिली को एक बार समझा भी लूं तो हम दोनों शादी करके कहां रहेंगे।
असमा कहती है कि मैं तुम्हें सच्चे दिल से प्यार करती हूं। जहां तुम रहोगे, वहीं मैं भी रह लूंगी। मैं तुम्हारे साथ India चलने के लिए तैयार हूं। बस तुम अपने परिवार से बात करके मुझसे शादी के लिए हां कह दो।
अरबाज कहता है वो सब तो ठीक है, लेकिन तुम्हारे घर वालों का क्या वो भी तो तैयार होने चाहिए। असमा कहती है मैं आज अपने मम्मी पापा से बात कर लूंगी। मेरी खुशी के लिए उन्हें मानना ही पड़ेगा।
दूसरे दिन असमा अपने मम्मी पापा से बात करती है। पहले तो वो विदेशी लड़के से शादी के लिए नहीं मानते, लेकिन बाद में असमा के बहुत ज़िद करने पर वो असमा से कहते हैं कि वो अरबाज से मिलना चाहते हैं।
असमा यह बात अरबाज को बताती है तो अरबाज उनसे मिलने के लिए तैयार हो जाता है। अरबाज असमा के घर वालों से मिलता है। असमा के मम्मी पापा को अरबाज पसंद आ जाता है, लेकिन वो उसके सामने एक शर्त रखते हैं।
असमा के पैरेंट्स अरबाज से कहते हैं कि तुम्हें असमा से शादी करके यहीं दुबई में ही हमेशा हमेशा के लिए रहना होगा। अरबाज यह बात सुनकर एकदम शॉक में हो जाता है। फिर असमा के पैरेंट्स से कहता है यह मुमकिन नहीं है। इंडिया में मेरी मां, मेरी पूरी फैमिली है। मैं उन्हें नहीं छोड़ सकता।
असमा के पैरेंट्स सख्त होकर अरबाज से कहते हैं कि एक बार और सोच लो या तो असमा या तुम्हारा परिवार।
अरबाज उनसे कहता है, नहीं मैं अपनी मां और अपने परिवार को नहीं छोड़ सकता। इतना कहकर अरबाज वहां से वापस चला आता है।
अरबाज अपने रूम पर वापस आने के बाद असमा को कॉल करता है और कहता है देखा मैने तुमसे कहा था न कि हम दोनों के बीच जो फासला है वो चाहकर भी हम लोग पार नहीं कर सकते।
असमा अफ़सोस भरे लहजे में अरबाज की हां में हां मिलाती है और कहती है। हम एक नहीं हो सकते तो क्या हुआ, लेकिन मैं तुम्हें दिल से चाहती हूं। और मैं हमेशा इसी तरह तुमसे बात करते रहना चाहती हूं, भले ही हमारी शादी न हो सके।
इस पर अरबाज असमा से कहता है कि अगर हम दोनों ज्यादा दिनों तक ऐसे ही बातें करते रहे तो बाद में बहुत तकलीफ होगी। इसलिए हम दोनों का दूर रहना ही सही है।
अरबाज के समझाने के बाद भी असमा नहीं मानती। वो अरबाज से रोज़ कॉल पर बातें करती। अरबाज भी असमा का दिल नहीं तोड़ना चाहता, इसलिए वो भी असमा से कॉल पर बातें कर लेता था।
लेकिन अरबाज अपनी हदें अच्छी तरह जानता था, इसलिए जब असमा उससे ज़्यादा Close होने वाली बातें करने लगती तो वो असमा को समझाता और बाद में तकलीफ होगी, इस चीज़ का अहसास दिलाता।
कुछ साल ऐसे ही बीत जाते हैं। फिर अरबाज के घर वाले अरबाज को इंडिया वापस आने के लिए कहते हैं। अरबाज को असमा से दूर होने का बहुत दुख होता है। असमा को भी अरबाज से दूर होने का गम रहता है।
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इंडिया वापस आने के बाद अरबाज की मां उसके लिए पहले से लड़की ढूंढकर रखती हैं और उससे अरबाज की Engagement करा देती हैं। अरबाज भी मजबूरी में चुपचाप इंगेजमेंट कर लेता है। कुछ दिन तो अरबाज को असमा के बिछड़ने का दुख रहता है, लेकिन धीरे धीरे वक्त के साथ सब ठीक हो जाता है और एक साल बाद अरबाज की शादी हो जाती है।
उधर असमा के घर वाले भी उसकी शादी किसी अच्छे लड़के से करवा देते हैं। इस तरह दोनों अपनी अपनी जिंदगी में खुश रहते हैं और असमा और अरबाज का रिश्ता सिर्फ एक अच्छी दोस्ती वाला रहता है।
Moral – ज़रूरी नहीं है कि आप जिससे प्यार करो उससे शादी होना ज़रूरी है। अगर आप किसी को दिल से पसंद करते हैं और किसी बड़ी मजबूरी के कारण उस शख़्स से शादी नहीं हो पाती, तो आप उससे दूर होने की बजाए, अपनी जिंदगी बर्बाद करने की बजाए, उससे दोस्ती का रिश्ता रख सकते हैं।
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