बेटा न होने पर, बेटी को सीढ़ियों से फेंका : Love Marriage Story

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Love Marriage Story in Hindi :

स्वीटी आज स्कूल जा रही थी। रोज़ की तरह आज भी उसका Boyfriend सागर उसका पीछा करते हुए घर तक आ जाता है। स्वीटी उससे कुछ इशारे में कहती है तो वो भी हंसकर इशारा करता है। इन दोनों को इशारेबाजी करते हुए आज स्वीटी का भाई देख लेता है।

वो यह बात अपने पिता को बताता है, फिर बाहर निकल कर स्वीटी को गुस्से में पीटना शुरू कर देता है। फिर स्वीटी का पिता भी उसको मारता है। उसके बाद स्वीटी का भाई जैसे ही स्वीटी के BF सागर को मारने आगे बढ़ता है तो सागर दुम दबाकर भाग जाता है।

Love Marriage Story in Hindi

अपने भाई और पिता के इस तरह के बर्ताव से स्वीटी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाकर रोने लगती है तो सभी लोग इकट्ठा हो जाते हैं। फिर काफी हंगामा होने के बाद स्वीटी, उसका भाई और पिता घर में चले जाते हैं।

स्वीटी फिर अपनी हरकतों से बाज नहीं आती और स्कूल आते जाते अपने ब्वॉयफ्रेंड से मिलती है। स्वीटी की यह हरकत देखकर स्वीटी के घर वाले उसका स्कूल जाना बंद कर देते हैं। लेकिन वो नहीं मानती और जबरदस्ती सुबह स्कूल जाने के लिए तैयार हो जाती है।

इधर स्वीटी की ज़िद उधर उसके भाई और पिता की ज़िद से फिर हंगामा शुरू होता है। स्वीटी ज़िद पकड़े रहती है कि वो शादी करेगी तो सागर से ही करेगी। कई महीने इसी तरह गुज़र जाते हैं। स्वीटी अपने ब्वॉयफ्रेंड से बात करना नहीं बंद करती वो कभी फोन पर तो कभी अपने घर की खिड़की पर खड़े होकर बाहर सागर से इशारे से बातें करती।

अब जब सब लोग घर में स्वीटी को मना करते करते हार जाते हैं तो फिर स्वीटी की मां उसको समझाती है और उसको बताती है कि तुम्हारे पिता ने सागर के बारे में पता लगाया था। वो सही लड़का नहीं है। वो शराब पीता है, जुवा खेलता है। तुम उससे बातें करना बंद कर दो। लेकिन फिर भी स्वीटी अपनी मां की बात नहीं मानती और कहती है वो चाहे जैसा भी हो। शादी तो मैं उसी से करूंगी, क्योंकि मैं उससे प्यार करती हूं। अगर आप लोग नहीं कराएंगे तो मैं खुद ही उससे शादी कर लूंगी।

स्वीटी की मां अपनी बेटी से हार जाती है और अपने पति से कहती है कि स्वीटी मोहब्बत में अंधी हो गई है। जहां कहे कर दो इसकी शादी। वरना यह कहीं भाग कर शादी न कर ले। अगर इसने ऐसा किया तो हम किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं बचेंगे।

स्वीटी के घर वाले डर के कारण स्वीटी की शादी उसके शराबी ब्वॉयफ्रेंड सागर से करा देते हैं। शादी के कुछ महीने तक तो सब कुछ ठीक रहता है। लेकिन धीरे धीरे स्वीटी के पति का प्यार उसके लिए कम होने लगता है। जब वो शराब पीकर रात में आता तो अपनी सारी भड़ास सारा गुस्सा अपनी पत्नी पर निकालता।

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स्वीटी अपने पति की ऐसी हरकत देख अब वो भी उस पर गुस्सा करने लगती है। रोज़ रात में उसका पति सागर शराब पीकर आता और दोनों में खूब बहस होती। कुछ समय बाद यह बहस लड़ाई में बदल जाती है और स्वीटी का पति अब उसपर हाथ भी उठाने लगता है। रोज़ इसी तरह की तू तू मैं मैं घर में चलती रहती।

स्वीटी यह बात अपने घर पर बताती है तो उसके घर वाले भी उसका साथ नहीं देते, क्योंकि यह शादी उसने अपनी मर्ज़ी से की थी। हां लेकिन फिर तरस खाकर वो सागर को समझाने ज़रूर जाते हैं। उनके समझाने से कुछ दिन तो सागर सही रहता, लेकिन फिर बाद में शराब के नशे में वो वही सब हरकत करता है।

सात महीने इसी तरह गुज़र जाते हैं और एक दिन सागर को पता चलता है कि उसकी पत्नी स्वीटी Pregnant है और वो बाप बनने वाला है। स्वीटी के मुंह से यह खुशखबरी सुनकर सागर बहुत ही खुश होता है। अब उसे पूरी तरह यह यकीन हो जाता है कि उसकी पत्नी एक बेटे को जन्म देगी और फिर वो लड़का बड़ा होकर उसके बुढ़ापे का सहारा बनेगा।

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अब वो अपनी पत्नी से लड़ाई झगड़ा करना बंद कर देता है और उसका बहुत ख्याल रखता है। उसे किसी भी तरह की कोई परेशनी नहीं होने देता। अपने पति सागर के इस तरह के बर्ताव से अब स्वीटी भी बहुत खुश रहने लगती है।

नौ महीने इस तरह पूरे हो जाते हैं और डिलीवरी का टाइम नज़दीक आ जाता है। सागर स्वीटी को डिलीवरी के लिए हॉस्पिटल लेकर जाता है। हॉस्पिटल में डॉक्टर स्वीटी को डिलीवरी रूम में लेकर जाती है। सागर बहुत खुश रहता है कि अब उसके घर एक चांद सा बेटा आएगा। रूम से बच्चे के रोने की आवाज़ आती है। बच्चे की आवाज़ सुनकर सागर की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। उसे लगता है कि उसका बेटा पैदा हो गया। लेकिन ईश्वर को तो कुछ और ही मंज़ूर रहता है।

हॉस्पिटल में रूम के अंदर से एक नर्स बाहर आती है और कहती है बहुत बहुत मुबारक हो। आपको एक चांद जैसी बेटी हुई है। यह बात सुनकर सागर के पैरों तले जैसे ज़मीन निकल जाती है। उसका सपना ही जैसे चूर चूर हो जाता है। वो अपने गुस्से को कंट्रोल करता है और खुद को समझाता है कि कोई बात नहीं। इस बार बेटा नहीं हुआ तो क्या हुआ अगली बार हो जाएगा।

जैसे तैसे खुद को समझाकर वो डिलीवरी रूम में जाता है। डिलीवरी रूम में स्वीटी बहुत खुश रहती है और कहती है यह देखो सागर हमारे प्यार की निशानी हमारी पहली बेटी। लो इसे अपने हाथों में ले लो। सागर ऊपरी दिल से अपनी बेटी को हाथ में लेता है, लेकिन उसे अंदर से कोई खुशी नहीं रहती।

घर आने के बाद सागर झुंझलाया झुंझलाया सा रहने लगता है। कभी कभी ज़्यादा गुस्सा आने पर वो अपनी पत्नी स्वीटी को बेटी पैदा करने के ताने भी देता है। इस तरह छह महीने गुज़र जाते हैं।

एक दिन सागर को पता चलता है कि उसकी पत्नी फिर से मां बनने वाली है। इस बार तो जैसे उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। वो अब अपनी पत्नी का ख्याल रखने के साथ ही उसको ऐसी ऐसी चीज़ें खिलाता है, जिससे कि उसे लड़का पैदा हो। लेकिन हर कोशिश करने के बाद भी फिर से उसकी बेटी पैदा होती है।

इस बार बेटी पैदा होने से वो इतना झुंझलाया रहता है कि वो उसे गोद में भी नहीं लेता और बेटी पैदा करने के लिए अपनी पत्नी को ज़ोर से थप्पड़ मारता है। हॉस्पिटल से घर वापस आने के बाद भी वो अपनी पत्नी स्वीटी पर अत्याचार करता है। उसे मारता है, पीटता है, बेटा पैदा न कर पाने के ताने सुनाता है।

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फिर कुछ महीने गुजरते हैं। स्वीटी फिर प्रेगनेंट हो जाती है। यह बात वो अपने पति सागर से बताती है तो सागर उसको धमकी देता है कि इस बार तू बेटा पैदा करेगी। अगर तूने बेटी पैदा की तो मैं तुझे छोड़ दूंगा। सागर की इस तरह की धमकी से स्वीटी डर जाती है और इस बार वो भी सोचती है कि बेटा पैदा हो जाए। इसलिए वो बेटा पैदा करने के कई तरीके अपनाती है, लेकिन इस बार भी स्वीटी की बेटी होती है।

इस बार बेटी पैदा होने की खबर सुनकर सागर आग बबूला हो जाता है। वो इतना गुस्से में रहता है कि अपनी बेटी की शक्ल तक नहीं देखता। स्वीटी के हॉस्पिटल से घर आने के बाद सागर उसे बेटी पैदा करने के लिए खूब मारता है। अपनी मां को पिटते हुए देख, उसकी दूसरी बेटी जो कि अभी डेढ़ से दो साल की ही रहती है वो रोने लगती है।

सागर शराब के नशे में तो रहता ही है। अपनी बेटी के रोने से वो और ज़्यादा झुंझला जाता है और गुस्से में उसे उठाकर सीढ़ियों से नीचे फेंक देता है। स्वीटी सागर पर गुस्सा करती है और अपनी बेटी को जल्दी से उठाती है। उसके सिर में चोट लग जाती है और खून (Blood) बहने लगता है। स्वीटी उसे डॉक्टर के यहां लेकर जाती है।

डॉक्टर स्वीटी की बच्ची का Treatment करता है। उसकी  मलहम पट्टी करता है और उसको दवा देता है। धीरे धीरे बच्ची ठीक हो जाती है।

इस बार सागर का जैसे भरोसा ही टूट जाता है कि अब उसे बेटा कभी पैदा भी होगा। इसलिए उसकी पत्नी जब चौथी बार प्रेग्नेंट होती है तो वो उसका अबॉर्शन करवा देता है। पांचवी बार भी सागर अपनी पत्नी स्वीटी का Abortion करवा देता है।

लेकिन जब छटी बार वो प्रेग्नेंट होती है तो अपने पति से कहती है देखो जी इस बार तुम मेरा अबॉर्शन न करवाओ। शायद इस बार हमें बेटा नसीब हो जाए। स्वीटी उसे खूब समझाती है तो सागर स्वीटी की बात मान जाता है और बेटे की उम्मीद लगा लेता है।

लेकिन कहते हैं न कि जो लोग बेटी और बेटे में फर्क करते हैं, और बेटे को ज़्यादा महत्व देते हैं तो ईश्वर ऐसे लोगों को और बेटा नहीं देता। इसलिए फिर से सागर की एक और बेटी पैदा होती है। सागर फिर गुस्से में आ जाता है और हर बार की तरह स्वीटी को बेटी पैदा करने के लिए मारता है।

इस तरह सागर बेटे की उम्मीद में बेटियों की लाइन लगा देता है। लेकिन सात बेटियां पैदा होने के बाद भी (जिनमें से दो मर जाती हैं) सागर को बेटे का सुख नहीं मिलता। अब तो सागर ना उम्मीदी में उदास होकर घूमने लगता है। दो साल इसी तरह उदासी में गुज़र जाते हैं। अब तो आठवीं बार स्वीटी मां बनने वाली रहती है।

स्वीटी अपने पति को समझाती है कि आखरी बार देख लेते हैं। इस बार शायद हमारा एक बेटा हो जाए। बहुत समझाने पर सागर मान जाता है। इस बार स्वीटी, सागर यहां तक कि स्वीटी की बेटियां भी अपने भाई के पैदा होने का इंतज़ार देखती हैं। इस बार सबको यकीन रहता है कि बेटा ही पैदा होगा।

स्वीटी का आठवां महीना चल रहा होता है। पड़ोस में लवली नाम की लड़की की शादी रहती है। स्वीटी तो शादी में जा नहीं पाती, लेकिन वो अपनी बेटियों को वहां भेज देती है। शादी में जाने के बाद स्वीटी की छोटी बेटी से एक पड़ोसन पूछती है कि तुम्हारी मम्मी क्यों नहीं आई तो स्वीटी की बेटी कहती है कि मम्मी का भईया आने वाला है, इसलिए।

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पड़ोसन हंसते हुए कहती है कि तुम्हें कैसे पता कि भईया ही आएगा। तो स्वीटी की बेटी कहती है कि मम्मी और पापा ने बोला है कि भईया आने वाला है। तो उस मासूम की बात से पड़ोसन मुस्कुराने लगती है।

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एक महीने बाद डिलीवरी का टाइम करीब आ जाता है। सभी को लग रहा था कि इस बार बेटा ही होगा, लेकिन इस बार भी इनके घर एक बेटी पैदा होती है। सागर हमेशा की तरह उदास होकर अपनी खिड़की पर सोच में बैठा रहता है और सोचता है कि शायद मेरी किस्मत में बेटा नहीं है।

Moral – लोग बेटे की आस में बच्चे की लाइन लगा देते हैं और बेटियों की कदर नहीं करते। लेकिन शायद वो यह नहीं जानते कि एक बेटी जितना अपने मां बाप को चाहती है उतना बेटा नहीं। वो अपने मां बाप की सेवा भी करती है और वक्त आने पर उन्हें कमाकर खिला भी सकती है। और साथ ही उनका नाम भी ऊंचा करती है। इसलिए बेटियों को बोझ नहीं समझना चाहिए।

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