Aadha Adhura Pyar | Incomplete Love Story in Hindi
Aadha Adhura Pyar in Hindi :
रूही अपने रूम में पर्दे के पीछे छुपकर सिसकियां ले रही थी। आज उसके आंसू जैसे थमने का नाम ही नहीं ले रहे थें। कोई उसे रोता हुआ देख ना ले, इसलिए वह पर्दे के पीछे छुपकर रो रही थी। इतने में नीचे से रूही की अम्मी की आवाज आती है, “रूही, रूही, चल बेटा जल्दी हमजा की हल्दी लगने वाली है थोड़ी देर में। बार बार तेरी खाला का फोन आ रहा है, जल्दी तैयार हो जा बेटा।”
रूही अपने आंसुओं को पोंछते हुए, और खुद की आवाज को बुलंद करते हुए कहती है, “आ रही हूं अम्मी, मैं बस तैयार ही हो रही हूं।”
रूही अपने टूटे हुए दिल को संभालती है। अपने आंसुओं को ठीक से साफ करती है। अपना मुंह धोती है और कपड़े पहनकर तैयार हो जाती है। मेकअप करने के बाद वह खुद को आईने में देखती है कि कहीं उसके दिल में उठ रहा तूफान उसके चेहरे पर तो नहीं दिख रहा। कहीं उसके छुपे हुए आंसू, उसकी आंखों से जाहिर तो नहीं हो रहे। इतना Confirm करने के बाद वह अपने चेहरे पर दिखावे वाली मुस्कुराहट लाती है, और अपनी अम्मी के साथ हमजा की हल्दी में चली जाती है।
आखिर क्यों रूही इतनी उदास है? आखिर क्यों वह अपने आंसुओं को दूसरों के सामने जाहिर नहीं कर पा रही है? आखिर क्यों वह इतना फूंट फूंट कर रो रही है। ये सब जानने के लिए आइए हम रूही के बचपन में चलते हैं। जब रूही सिर्फ 8 साल की रहती है।
रूही अपनी अम्मी और 3 बहनों सना, नेहा और जैनब के साथ अपनी खाला के घर जाती है। रूही की खाला के घर में उसकी खाला का बेटा हमजा रहता है, जिसके साथ वह हमेशा खेलती है। आज भी रूही हमजा के घर पहुंचते ही सीधे हमजा के साथ क्रिकेट खेलने चली जाती है। रूही की बहने भी उनके साथ ही जाती हैं। क्रिकेट खेलने के बाद वो सभी कैरम खेलने लगते हैं।
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कैरम खेलते खेलते हमेशा की तरह हमजा रूही को परेशान करने के लिए चीटिंग करने की कोशिश करता है। रूही हमजा को ऐसा करते हुए देख लेती है। रूही हमजा से गुस्से में कहती है, “देखो तुम चीटिंग करोगे तो मैं तुम्हारे साथ नहीं खेलूंगी।” रूही की बहनें भी रूही की तरफदारी करती हैं।
Aadha Adhura Pyar in Hindi | Pyar ka Dard
इसपर हमजा हंसने लगता है और रूही को छेड़ते हुए कहता है, “अरे जिस खेल में बेईमानी ना हो उसमें क्या मजा”। इतना कहकर हमजा फिर जोर जोर से हंसने लगता है।
इसपर रूही को और गुस्सा आ जाता है। रूही हमजा से कहती है, “अगर तुम नहीं माने तो मैं तुम्हारे साथ नहीं खेलूंगी।” हमजा कहता है अच्छा चलो अच्छा अब नहीं करूंगा।
लेकिन फिर वो वही हरकत करता है। इसपर रूही आग बबूला हो जाती है और कहती है, “रुको मैं अम्मी से अभी तुम्हारी शिकायत लगाती हूं।” इतना कहते हुए रूही अपनी अम्मी की तरफ चली जाती है।
हमजा अपनी खाला की इज्जत करता है और उनसे थोड़ा डरता भी है, इसलिए रूही को आवाज लगाकर रोकता है, “रूही रुको, अच्छा मैं नहीं परेशान करूंगा तुम्हें, सुनो तो सही।” लेकिन रूही हमजा की बात सुने बिना अम्मी से उसकी शिकायत लगाने चली जाती है।
रूही की बहनें भी हमजा की खिल्ली उड़ाती हैं, “अब तो हमजा भाई तुम्हारी शामत नहीं,” इतना कहकर वो लोग जोर जोर खिलखिलाकर हंसने लगती हैं।
इतने में हमजा की अम्मी की आवाज आती है, “हमजा यहां आओ।”
हमजा हड़बड़ाते हुए अपनी अम्मी के पास जाता है और पूछता है, “जी अम्मी क्या हुआ?”
रूही की अम्मी भी वहीं हमजा की अम्मी के साथ बैठी रहती हैं और कहती हैं, “क्यों हमजा मेरी बच्ची को क्यों तंग कर रहा है?” हमजा की अम्मी भी रूही की अम्मी के साथ हमजा से गुस्से में यही सवाल पूछती हैं।
Aadha Adhura Pyar | One Sided Love Story in Hindi
इतने में हमजा हंसते हुए कहता है, “कुछ नहीं खाला मैं तो बस यूं ही मज़े ले रहा था। उतने में ही इसको गुस्सा आ जाता है पता नहीं क्यों। यह कुछ ज़्यादा ही जल्दी भड़क जाती है। इसमें मैं क्या करूं।” इतना कहकर हमजा हंसने लगता है।
रूही भी वहीं खड़ी रहती है और हमजा की हंसी से उसको बहुत गुस्सा आता है और वो अपनी अम्मी से उसको डांटने की ज़िद करती है। रूही की अम्मी भी उसकी ज़िद पूरी करते हुए हमजा को हंसी हंसी में यूं ही डांटकर बात को खत्म करती हैं।
रूही खुश हो जाती है और हमजा को चिढ़ाते हुए जाने लगती है, “ना न ना ना ना?”
हमजा भी उसकी बचकानी हरकतों पर ध्यान नहीं देता और वह भी वहां से चला जाता है। इस तरह इन दोनों की बचपन की अनबन ऐसे ही होती रहती थी। इनकी साथ में जितनी लड़ाई होती थी, उतना ही दोनों का एक दूसरे के बग़ैर गुज़ारा भी नहीं होता था। थोड़ी देर बाद फिर दोनों एक दूसरे के साथ खेलने लगते हैं।
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एक दिन रूही अपने घर में अपने मिट्ठू (Parrot) के साथ खेल रही थी, जिसे अभी कुछ ही दिन पहले उसका भाई लेकर आया था। हमजा रूही के घर आता है और रूही से पूछता है कि यह किसका तोता है तो रूही उसको बताती है, भाई मेरे लिए लेकर आए हैं। मैं दिन रात इसका ख्याल रखती हूं, इसके साथ खेलती हूं।
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हमजा भी उसके मिट्ठू को देखकर खुश होता है, और उसके साथ खूब खेलता है। उसको बोलना सिखाता है। अब तो दोनों की खुशी का मकसद ही वह मिट्ठू बन गया था। मिट्ठू के साथ खेलने के बाद हमजा और रूही ऊपर छत पर बैडमिंटन खेलने चले जाते हैं। रूही की बहने भी उनके साथ ही जाती हैं। कुछ दिन यूंही मिट्ठू के साथ हंसते खेलते बीतते हैं।
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