बचपन के प्यार की अधूरी कहानी – Children Story in Hindi : Episode – 5

Children Story in Hindi | Pyar ki Anokhi Kahani

Children Story in Hindi :

रूही की अम्मी रूही का सिर सहलाते हुए कहती हैं, “नहीं बेटा हम लोग तुम्हें स्कूल नहीं भेजेंगे, तुम बिल्कुल स्कूल नहीं जाना। हम लोग तुम्हारा Admission दूसरे स्कूल में करा देंगे। जहां लड़के ना हों या फिर अच्छे लड़के हों।”

अपनी अम्मी की यह बात सुनकर अब रूही के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आती है और वह थोड़ी चैन की सांस लेती है। फिर रात भर हॉस्पिटल में रहने के बाद रूही ठीक हो जाती है और उसे हॉस्पिटल से छुट्टी (Discharge) मिल जाती है।

रूही के ठीक होने के बाद रूही की अम्मी उसको उसकी फुफी से घर पर ही पढ़वाती हैं। ताकि रूही पढ़ने में Fast हो जाए और अगले साल उसका Admission दूसरे स्कूल में हो जाए। रूही मेहनत से अपनी फुफी से पढ़ती है, और अपने नये स्कूल जाने का सपना देखती है।

Children Story in Hindi

धीरे धीरे रूही पढ़ने में तेज़ हो जाती है और जब भी उससे कोई पूछता कि बड़े होकर क्या बनोगी तो वह कहती, “पायलट”। उसकी इस बात पर सब हंसने लगते थे। सबको हंसता देख रूही भी हंस देती थी। क्योंकि रूही को जहाज़ बहुत पसंद थी, इसलिए वह लोगों को यह जवाब देती थी।

एक दिन रूही सुबह सुबह जलेबी की शॉप पर अपने और अपने अब्बू के लिए जलेबी लेने जाती है। रूही गली से होकर सड़क पर जाने वाली ही रहती है कि अचानक से एक घर में उसे एक चमकती हुई चीज दिखाई देती है।

रूही चलते चलते रुक जाती है और थोड़ा वापस पीछे आकर उस घर में झांककर देखती है तो उसे एक Computer दिखाई देता है। उस कंप्यूटर पर एक आदमी बैठकर काम करता रहता है।

रूही को यह देखकर बहुत ही अच्छा फील होता है। वह थोड़ी देर तक रुककर उस Computer को और उस आदमी की उंगलियों को कंप्यूटर पर चलते हुए देखती है। थोड़ी देर देखने के बाद वह जलेबी लेने चली जाती है। जलेबी लेने के बाद वापस आते हुए भी वह उस Computer को प्यार भरी निगाहों से देखती है। रूही जैसे उस कंप्यूटर की तरफ Attract होती है।

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जलेबी लेकर जब रूही घर वापस आती है तो अपने अब्बू के साथ बैठकर जलेबी खाती है। जलेबी खाते खाते वह फिर उस कंप्यूटर के बारे में सोचने लगती है, और अपने अब्बू से पूछती है, “अब्बू कंप्यूटर कितने का मिलता है?”

रूही के अब्बू रूही के सवाल का जवाब देते हैं, “20 हजार रुपये तक का।”

रूही फिर अपने Father से पूछती है, “अब्बू कंप्यूटर से क्या किया जाता है?”

तो रूही के अब्बू उसको फिर से जवाब देते हैं, “बेटा कंप्यूटर से सभी काम होते हैं, कोई भी काम ऐसा नही है जो Computer ना कर सके।”

यह बात सुनकर जैसे रूही की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता। वह खुशी से कहती है, “अब्बू फिर तो कंप्यूटर खाना भी बना सकता है, कपड़े भी धो सकता है, पैसे भी बना सकता है। तो फिर हम लोगो के घर में कंप्यूटर क्यों नहीं है?”

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रूही की यह बात सुनकर रूही के अब्बू हंसने लगते हैं और उसको जवाब देते हैं, “बेटा कंप्यूटर के सब कुछ करने का मतलब, उससे Calculation किया जा सकता है, खाना बनाने  तरीका सीखा जा सकता है, कपड़े धोने के लिए कौन सा साबुन अच्छा है यह पता किया जा सकता है, कंप्यूटर के ज़रिए बड़ी बड़ी बीमारी का पता लगाया जा सकता है, कंप्यूटर से घर का नक्शा बनाया जा सकता है, यह सारे काम कंप्यूटर करता है।

और कंप्यूटर इंसान तभी चला सकता है जब वह कंप्यूटर सीखता है। और कंप्यूटर सीखने के लिए पढ़ाई करना बहुत जरूरी है। अपने अब्बू की यह बात सुनकर रूही अब अपने दिल में भी कंप्यूटर सीखने का सपना संजोने लगती है, और दूसरे स्कूल में Admission होने के बाद मेहनत से पढ़ाई करती है।

धीरे धीरे रूही और हमजा बड़े हो जाते हैं। रूही मेहनत करके अपने बचपन के सपने कंप्यूटर को अपनी हकीकत बना लेती है। और अपना Graduation और Post Graduation Computer Science से Complete करती है। कंप्यूटर की पढ़ाई करते हुए ही वह Work from Home वाले बिजनेस का सपना देखती है, और उसी के लिए मेहनत से पढ़ाई करती है।

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एक तरफ उसका Ambition था तो दूसरी तरफ हमजा। उसको लगता था कि एक न एक दिन उसकी अम्मी और खाला उसकी शादी हमजा से करा देंगी। और इन दोनों सपने को ही दिल में लिए रूही खुशी से जी रही थी।

एक दिन रूही कॉलेज से घर आ रही थी कि तभी उसकी गली के पास एक गड्ढा रहता है। गड्ढे की वजह से रूही अपनी स्कूटी वहीं पर खड़ी करके घर आ जाती है। उसके घर में हमजा आया रहता है। हमजा रूही से कहता है कि लाओ चाबी मैं तुम्हारी स्कूटी पार्क कर देता हूं।

रूही हमजा को अपनी स्कूटी की चाबी दे देती है। हमजा के साथ रूही भी अपनी स्कूटी पार्क कराने जाती है। जैसे ही हमजा स्कूटी स्टार्ट करता है, और आगे बढ़ता है तो स्कूटी गड्ढे की वजह से Disbalance हो जाती है और हमजा स्कूटी लेकर गिर जाता है।

हमजा को काफी चोट लग जाती है और उसकी बॉडी से खून (Blood) निकलने लगता है। रूही यह देखकर बहुत परेशान हो जाती है और हमजा को घर लेकर जाती है।

रूही हमजा के ज़ख्मों पर मलहम लगाती है, उसकी ड्रेसिंग करती है। साथ ही उसकी आंखों से आंसुओं की बारिश होती रहती है। क्योंकि उसको लगता है कि यह सब उसी की वजह से हुआ है। न वह हमजा से स्कूटी पार्क करवाती और न ही हमजा को चोट लगती।

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हालांकि हमजा की अम्मी और हमजा दोनों रूही से कहते हैं कि इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है। यह तो बस होने वाला हादसा था, जो हो गया। लेकिन फिर भी रूही को हमजा की चोट से बहुत तकलीफ़ हो रही थी और उसके आंसू थम नहीं रहे थे।

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थोड़ी देर बाद जब हमजा देखता है कि रूही कुछ ज़्यादा ही Upset है, तो वह फिर रूही को समझाता है और कहता है, “चुप हो जाओ रूही अब कितना रोगी तुम। अब तो मैं ठीक हूं, अल्लाह का शुक्र है कि मुझे बहुत ज़्यादा चोट नहीं लगी, हाथ पैर नहीं टूटे। और तुम भी इस बात को समझ लो कि कुछ भी तुम्हारी वजह से नहीं हुआ।”

इतना कहने के बाद हमजा रूही से हंसी मज़ाक करने लगता है, तब जाकर रूही की सांस में सांस आती है, और फिर वह भी हमजा के साथ हंसने मुस्कुराने लगती है।

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